दुनिया में पहली बार मानव की बजाय कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली को दिया गया अविष्कार का पेटेंट
दुनिया में पहली बार मानव की बजाय कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली को दिया गया अविष्कार का पेटें । दक्षिण अफ्रीका में हाल में “फ्रेक्टल ज्यामिति पर आधारित खाद्य कंटेनर” पर एक पेटेंट दिया गया है, जो पहली नजर में बिलकुल साधारण प्रतीत होता है। इसमें ‘इंटरलॉक’ होने वाले खाद्य कंटेनरों को रोबोट द्वारा आसानी से पकड़ा और व्यवस्थित रूप से रखा जा सकता है। इसका अविष्कारक कोई मानव नहीं, बल्कि ‘डीएबीयूएस’ नामक कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली है। ‘डिवाइस फॉर ऑटोनोमस बूटस्ट्रैपिंग ऑफ यूनिफाइड सेंटिएन्स’ या ‘डीएबीयूएस’ स्टीफेन थेलर द्वारा।
दक्षिण अफ्रीका में हाल में “फ्रेक्टल ज्यामिति पर आधारित खाद्य कंटेनर” पर एक पेटेंट दिया गया है, जो पहली नजर में बिलकुल साधारण प्रतीत होता है। इसमें ‘इंटरलॉक’ होने वाले खाद्य कंटेनरों को रोबोट द्वारा आसानी से पकड़ा और व्यवस्थित रूप से रखा जा सकता है।
इसका अविष्कारक कोई मानव नहीं, बल्कि ‘डीएबीयूएस’ नामक कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली है। ‘डिवाइस फॉर ऑटोनोमस बूटस्ट्रैपिंग ऑफ यूनिफाइड सेंटिएन्स’ या ‘डीएबीयूएस’ स्टीफेन थेलर द्वारा निर्मित एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रणाली है। थेलर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधानकर्ता हैं। इस प्रणाली के जरिये मानव मस्तिष्क की सोचने की प्रक्रिया का अनुकरण किया जाता है और नए अविष्कार किये जाते हैं।
‘डीएबीयूएस’ एआई की एक विशेष श्रेणी में आता है जिसे “रचनात्मक मशीन” भी कहा जाता है क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से और कठिन कार्य करने में सक्षम हैं। यह दैनिक उपयोग में लाए जाने वाले आईफोन या सीरी के एआई से अलग हैं। ‘डीएबीयूएस’ को अविष्कारक के तौर पर दर्ज कराने वाले पेटेंट के लिए अमेरिका, यूरोप ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका समेत दुनियाभर में प्रयास किया गया था जिसमें से केवल दक्षिण अफ्रीका ने यह पेटेंट प्रदान किया।
हालांकि, अदालत से आदेश मिलने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी बाद में पेटेंट प्रदान किया। दक्षिण अफ्रीका के निर्णय को बौद्धिक संपदा विशेषज्ञों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कुछ ने इसे गलत करार दिया है ।
रचनात्मक मशीनें डेटा से सीखते हुए उसका विश्लेषण और ‘प्रोसेस’ कर सकती हैं। इस प्रक्रिया को ‘मशीन लर्निंग’ कहते हैं। मशीन लर्निंग बगैर मानव हस्तक्षेप के “अपने आप” चीजों को समझ सकती है। कोविड महामारी के दौर में भी देखा गया है कि एआई उन समस्याओं का समाधान तेजी से कर सकती है जो मानव नहीं कर सकते। अतीत में कई प्रकार की रचनात्मक मशीनें बनी थीं।
‘डीएबीयूएस’ से पहले थेलर ने एक अन्य एआई का निर्माण किया था जिसने नोवेल शीट म्यूजिक और ‘क्रॉस ब्रिसल’ टूथ ब्रश के डिजाइन का अविष्कार किया था। इसके लिए थेलर को पेटेंट दिया गया था। इसके लिए थेलर ने एआई को नहीं बल्कि खुद को अविष्कारक के तौर पर दर्ज कराया था।
जब डीएबीयूएस द्वारा खाद्य कंटेनर के अविष्कार की बात आई तो सर्रे विश्वविद्यालय के रायन एबट के सहयोग से थेलर ने डीएबीयूएस को अविष्कारक के तौर पर दर्ज कराने का निर्णय लिया क्योंकि यह अविष्कार पूरी तरह से एआई ने डिजाइन किया था। इस निर्णय के जरिये उन्होंने एआई को दुनियाभर में अविष्कारक के तौर पर पेश करने की मुहिम की शुरुआत की।
अमेरिका और यूरोप के पेटेंट कार्यालय ने पेटेंट के आवेदनों को औपचारिक जांच के चरण में खारिज कर दिया। इसके लिए उन्होंने तीन कारण बताए, जिसमें से पहला यह था कि उनके पेटेंट के कानून मानव के लिए थे न कि एआई के लिए। पेटेंट के कानून में अंग्रेजी के ‘हिम’ (उसका) और ‘हर’ (उसकी) शब्द प्रयोग किये जाते हैं जो किसी एआई के लिए नहीं किये जा सकते।
दूसरे, पेटेंट के उद्देश्य के लिए जो विचार आते हैं वह मानव मस्तिष्क में ही आ सकते हैं। तीसरी बात यह कि पेटेंट जिसे दिया जाता है उसे अधिकार मिलते हैं जो एआई नहीं ले सकता। वैश्विक समुदाय को आश्चर्य में डालते हुए दक्षिण अफ्रीका के पेटेंट कार्यालय की ओर से डीएबीयूएस को अविष्कारक मानते हुए पेटेंट प्रदान किया गया है लेकिन अभी तक इस निर्णय का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है।
यह पेटेंट, ‘साउथ अफ्रीकन पेटेंट जर्नल’ में जुलाई 2021 में प्रकाशित हुआ था और ‘द टाइम्स’ जैसे प्रमुख मीडिया संस्थान ने इसकी खबर छापी थी। दक्षिण अफ्रीका में डीएबीयूएस को पेटेंट देने की विशेषज्ञों द्वारा व्यापक स्तर पर आलोचना की जा रही है। उनका कहना है कि यह कानूनी रूप से गलत निर्णय है क्योंकि एआई के पास आवश्यक कानूनी अधिकार नहीं हैं जिससे कि उसे अविष्कारक माना जाए।
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